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संदेश क्र०- २१९४, दिनांक- ०४-११-२०२२

🌻 हरिओम् जी 🌻।। राम राम जी ।। जय मां लक्ष्मी ।। जय संतोषी मां ।। सुप्रभातम् ।।
🌹 नमस्ते सर्वदेवानाम वरदासि हरै: प्रिया । या गतिस्त्वतप्रपन्नानाम सा मे भूयात्वदर्चनात ।।
🌹 संतोषी महामाया गजानंद दायिनी । शुक्रवार प्रिए देवी नारायणी नमोस्तुते ।। आज जगत की पालन कर्ता सबको सुख वैभव प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी और जीवन में संतोष रखने की प्रेरणा देने वाली माता संतोषी की पूजा अर्चना का दिन शुक्रवार आपको मंगलमय हो इस हेतु हार्दिक़ शुभकामनाएं ।
🌷 आज शायं काल ०६ बजकर ०९ मिनट तक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है । इस एकादशी को हरि प्रबोधिनी, देवोत्थान एकादशी, देव उठनी एकादशी या देव जगी एकादशी आदि कहते हैं । गत चार माह से सृष्टि का संचालन भोलेनाथ जी के द्वारा हो रहा था, आज से आठ माह तक भगवान विष्णु जी के द्वारा किया जाने लगेगा ।
🍁 इस एकादशी के दिन पूरे दिन का व्रत करके संध्या के समय कपूर से आरती करने से आजीवन अकालमृत्यु से रक्षा होती है । एक्सीडेंट आदि उत्पातों का भय नहीं रहता है । 🍁 आज प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर/ पूजा स्थल में जाकर सर्व प्रथम निम्न मंत्र को बोलकर भगवान विष्णु को जगाना चाहिए - उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद ! उत्तिष्ठ गरुड़ध्वज ! उत्तिश्ठ कमलाकांत ! त्रैलोक्य मंगलं कुरु ! है गोविंद उठिए ! उठिए हे गरुड़ध्वज ! है कमलकांत निद्रा का त्याग कर तीनो लोकों का मंगल कीजिए ! इसके कुछ समय बाद भगवान को स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं फिर तिलक लगाकर फूल, माला आदि पहनाकर श्रृंगार करें । उसके बाद मिष्ठान्न, फल चढ़ाएं ।, गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद आदि नई वस्तुएं अर्पित करे और व्रत करें ।
🍁 *कल ०५ नवंबर को द्वादशी में भगवान विष्णु एवम् तुलसी जी का विवाह करें और व्रत का पारण करें । द्वादशी ०५ नवंबर को शायं काल ०५ बजकर ०७ मिनट तक है । द्वादशी के दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का विवा किया जाता है ।
🍁 आज ०४ नवम्बर से ०८ नवम्बर तक "भीष्म पंचक व्रत" है । कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक का व्रत 'भीष्म पंचक व्रत' कहलाता है जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है और महापातकों तक का नाश हो जाता है l
🍁कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्म जी ने जब जल की याचना की थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी की धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन मन प्राण संतुष्ट हुए l।
🍁 इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा था कि 'आज से लेकर पूर्णिमा तक जो व्यक्ति अर्घ्यदान से भीष्म जी को तृप्त करेगा और इस भीष्म पंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l'
🍁इस व्रत को यदि निःसंतान व्यक्ति पत्नी सहित करें तो उसे संतान की प्राप्ति होती है l
🍁 जो अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वैकुण्ठवास चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें यह व्रत करने की सलाह दी गयी है l
🍁जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्म जी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है -
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च l
अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ll
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च l
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ll ।
अर्थात - जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीश्म वर्मा को मैं यह जल देता हूँ l वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूं ।
🍁 इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें l कंदमूल, फल, दूध अथवा सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में लिया जाता है, वह लें l
🍁 इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व गोबर के रस का मिश्रण ) सेवन करना बहुत लाभदायी होता है l पानी में थोडा सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग और दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है l_
🍁इन दिनों नियमपूर्वक ब्रह्मचर्य व्रत पालन करना चाहिए l
🍁 इन पांच दिनों निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करने से भगवान प्रसन्न होकर इच्छित वर प्रदान करते हैं - सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने l भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ll अर्थात आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्यव्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देता हूँ l श्री नारायण प्रसन्न हों ।
🌷 एकादशी व्रत का पारण कल प्रात: काल ०६ बजकर ०२ मिनट के बाद किया जाएगा । कल ही दिन में तुलसी एवम् भगवान विष्णु का विवाह किया जाएगा । विवाह का विधान कल के संदेश में प्रात: काल प्राप्त हो जायेगा ।
🌷पण्डित रवि शर्मा पूर्व प्रधानाचार्य ज्योतिष एवम् वास्तु विशेषज्ञ श्री राम कथावाचक बरेली

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